कैस्टर आयल यानि अरंडी का तेल एक ऐसा तेल है जो आज से नहीं बाकि काफी समय से हमारे बड़े बुजुर्गो द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है. यह रिसीनस कम्युनिस पौधों के बीज से निकलता है. Castor oil का इस्तेमाल औषधी के रूप में अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में काफी किया जाता है.कैस्टर आयल में विटामिन ई , प्रोटीन और ओमेगा 6 और 9 होते हैं जो अच्छे बालो और चमकती त्वचा के लिए काफी जरुरी माने जाते है. इसके अलावा, अरंडी के तेल Anti inflammatory, एंटी बॅक्टीरियल, एंटी फंगल, healing, anti arthritis, दूध का उत्पादन बढ़ने वाले गुण, कब्ज दूर करने वेल यानी लॅक्सेटिव गुण, जर्मिसाइडाल गुणों के अतिरिक्त बहुत से दुसरे गुण पाए जाते हैं जो की बहुत सी हेल्थ प्रॉब्लम्स को सही करने मे मदद करते हैं|। where to get castor oil
1. चर्म (त्वचा) के रोग Skin Problem : एरंण्ड की जड़ 20 ग्राम को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इसे पिलाने से चर्म रोगों में लाभ होता है। कैस्टर आयल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी अंग की त्वचा फटने का कष्ट दूर होता है।
2. सिर पर बाल उगाने के लिए / Hair Gain: ऐसे शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे। एरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। एरंड की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है। castrol oil for skin
5. शिश्न (लिंग) की शक्ति बढ़ाने के लिए / Sex power Improvement : मीठे तेल में एरंड के पीसे बीजों का चूर्ण औटाकर शिश्न (लिंग) पर नियमित रूप से मालिश करते रहने से उसकी शक्ति बढ़ती है।
7. बालकों के पेट के कृमि (कीड़े) / Stomach Worm : कैस्टर आयल गर्म पानी के साथ देना चाहिए अथवा एरंड का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। एरंड के पत्तों का रस नित्य 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के चुनने (पेट के कीड़े) मर जाते हैं।
11. होंठों का फटना / Cracked Lips : होंठों के फटने पर रात्रि को Castor oil होठ पर लगाने से लाभ मिलता है।
12. पेट में दर्द या बार-बार दस्त होना : एरंड के तेल का जुलाब देना चाहिए। इसका जुलाब बहुत ही उत्तम होता है। इससे पेट में दर्द नहीं होता और पानी की तरह पतले दस्त भी नहीं होते, केवल मल-शुद्धि होती है। यदि इसका जुलाब फायदा नहीं पहुंचाता तो यह कोई हानि नहीं पहुंचाता। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए यह समान उपयोगी है। सोंठ के काढ़े के साथ पीने से कैस्टर आयल की दुर्गन्ध कम हो जाती है अथवा मट्ठे से कुल्ला करके एरंड का तेल पीने से उससे अरुचि नहीं होती ।
14. आंखों के रोग में / Eye Problem: एरंड के तेल के अंजन से आंखों से पानी बहता है, इसलिए इसे नेत्र विरेचन कहते हैं। Castor oil दो बूंद आंखों में डालने से, इनके भीतर का कचरा निकल जाता है और आंखों की किरकरी बंद हो जाती है। एरंड के पत्तों की जौ के आटे के साथ पुल्टिस बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों पर आई पित्त की सूजन नष्ट हो जाती है।
Arandi ka Tel Benefits
15. स्त्री के स्तन संबधी रोग / Breast Problem: जब किसी स्त्री के स्तनों में दूध आना बंद हो जाता है और स्तनों में गांठें पड़ जाती हैं, तब एरंड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर पानी में घंटे भर उबालें, तथा गर्म पानी की धार 15-20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डाले, एरंड तेल की मालिश करें, उबले हुए पत्तों की महीन पुल्टिस स्तनों पर बांधे। इससे गांठें बिखर जायेगी और दूध का प्रवाह पुन: प्रारम्भ हो जायेगा। स्तन के चारों ओर की त्वचा फट जाने पर एंरड तेल लगाने से तुरन्त लाभ होता है। Castor के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर प्रतिदिन मलने से कुछ ही दिनों में स्तन कठोर हो जाते हैं। इसके अलावा गांठें पिघलकर दूध उतरने लगता है तथा सूजन की तकलीफ दूर हो जाती हैं।
16. पेट के रोग / Stomach diseases : एरंड के बीजों के बीच के भाग को पीसकर, गाय के चौगुने दूध में पकायें जब यह खोवा की तरह हो जाय तो उसमें दो भाग चीनी मिला लें। इसे प्रतिदिन 15 ग्राम खाने से पेट की गैस मिटती है। पुराने पेट के दर्द में रोज रात को सोने के समय 125 मिलीलीटर गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोडकऱ, एरंड का तेल डालकर पीने से कुछ समय में ही दर्द दूर हो जाता है।
17. प्रवाहिका (संग्रहणी) / Colitis: यदि मल के साथ आंव और खून निकलता हो तो आरम्भ में ही 10 मिलीलीटर अरण्डी़ तेल देने से आंव आना कम हो जाता है और खून का गिरना भी कम हो जाता है। एपैन्डिक्स रोग के प्रारम्भ में ही एरंड तेल 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन देने से आपरेशन करने की आवश्यकता नहीं रहती। और एपैन्डिक्स रोग ठीक हो जाता है। 31 AmazingBenefits Of Castor Oil (Arandi)
18. तिल मस्से/ Wart: पत्ते के वृन्त पर थोड़ा चूना लगाकर तिल पर बार-बार घिसने से तिल निकल जाता है। Castor oil में कपड़ा भिगोकर मस्से पर बांधने से मस्से मिट जाते हैं। चेहरे या पूरे शरीर पर तिल, धब्बे या भूरे-भूरे दाग (लीवर स्पोंटस) हो या गाल या त्वचा पर छोटी-छोटी गिल्टियां (गांठे), सख्त गुठलियां निकलने पर रोजाना दिन में 2 से 3 बार लगातार एरंड के तेल की मालिश करने से धीरे-धीरे सब समाप्त हो जाते हैं।
अर्श (बवासीर) / Piles : एरंड के पत्तों के 100 मिलीलीटर काढ़े में घृतकुमारी का रस 50 मिलीलीटर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। एरंड तेल और घृत कुमारी का स्वरस मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से जलन शांत हो जाती है। मस्से और गुदा की त्वचा फट जाने पर प्रतिदिन रात्रि को एरंड तेल देने से बहुत लाभ होता है। एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से करते रहने से बवासीर के मस्से, पैरों की कील (कार्नस), मुहासें, मस्से, बिवाई, धब्बे, गठानों पर की सारी तकलीफें धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी। नीम और एरंडी के तेल को गर्म करें तथा उसमें 1 ग्राम अफीम व 2 ग्राम कपूर का चूर्ण डालकर मलहम (गाढ़ा पेस्ट) बना लें। इस पेस्ट को मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं। एरंड का तेल लेकर प्रतिदिन मस्सों पर लगाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर ठीक हो जाती है।