नपुंसकता, इरेक्टल डिस्फक्शन, कामेच्छा का अभाव, (Impotence, erectile displacement, lack of libido) जिनकी वजह से कई बार वैवाहिक जीवन टूटने की कगार पर आ जाता है। गौरतलब है कि आहार मे दूध का प्रयोग, उडद का प्रयोग, नये देसी घी का सेवन, नये अन्नॊ का सेवन, साठी चावल दूध के साथ सेवन, सूखे मेवे, खजूर , मुन्नका, सिंघडा, मधु, मक्खन, मिश्रि, आदि आहार वीर्य वर्धक होते है। जबकि इन समस्याओं से निजात पाने के लिए घरेलू और अनेकों आयुर्वेदिक उपाय हैं। आयुर्वेद में ऐसी अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियों का उल्लेख है, जिनके सेवन से आप शारीरिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं। वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप्त होती हैं। इसमे सातवी धातु ही पुरुष में वीर्य बनती है। कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा मैथुन करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:- प्रमेह, सुजाक, मूत्रघात, मूत्रकृच्छ और स्वप्नदोष आदि
6. तालमखाना : तालमखाना मे मिश्री मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध यानी साफ हो जाता है।
7. दालचीनी : दालचीनी 20 ग्राम पीसकर इसमें खांड़ 20 ग्राम मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा मे सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। दालचीनी और काले तिल 5-5 ग्राम पीस लें उसके बाद शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें और छाया में सुखा दें। संभोग से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें। 3 ग्राम दालचीनी का चूर्ण रात में सोते समय गरम दूध के साथ खाने से वीर्य की वृद्धि होती है। दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।
9. असगंध / Aswagandha: असगंध, विधारा 25-25 ग्राम कूट छान कर इसमें 50 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा मे सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से बल वीर्य बढ़ता है। असगंध 300 ग्राम कूट छान कर 20 ग्राम को दूध 250 मिलीलीटर में गिराकर उबालें गाढ़ा होने पर खांड़ मिला कर पी लें।