शायद ही कोई व्यक्ति हो जो ‘सौंफ’ से परिचित न हो। सौंफ को मसालों की रानी और पान की जान भी कहा जाता है। सौंफ का पौधा झाड़ के समान पतली-पतली कोमल पत्तियों वाला होता है। यह बहुत अधिक ऊंचा नहीं होता। इसके फूल पीले होते हैं। इस पौधे पर जो फल लगता है उसी को सौंफ कहते हैं। अंग्रेजी में इसे अनिसीड कहते हैं।
साँस की बदबू को दूर करता है– सौंफ माउथ फ्रेशनर का काम करती है। इसमें कई तरह के सुगंधित तेल होते हैं जो मुँह से बदबू को दूर करता है। इसको चबाने से आपके मुँह में लार का उत्पादन बढ़ता है जो मुँह में छिपे हुए खाद्द पदार्थों को निकालकर हजम करने की क्रिया को शुरू करवाती है। एन्टी-बैक्टिरीअल और एन्टी इन्फ्लैमटोरी गुणों के अलावा ये साँसों के बदबू और मसूड़ों को संक्रमित करने वाले जीवों को नष्ट करती है।खाना खाने के बाद साँस की बदबू को दूर करने के लिए सौंफ खायें। अगर आपके मसूड़ों में संक्रमण हैं तो सौंफ के कुछ दानों को पानी में डालकर उबाल लें और उस काढ़े से गार्गल करें। इस काढ़े से नियमित रूप से गरारा करने पर साँस की बदबू दूर होती है।
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बदहजमी, कब्ज़, और ब्लोटिंग से राहत दिलाती है- सौंफ बदहजमी को दूर करती है। जैसे ही आप सौंफ को चबाना शुरू करते हैं इसमें जो ज़रूरी तत्व होते हैं वे पाचन क्रिया का काम करना शुरू कर देते हैं। साथ ही इसमें जो फाइबर होता है वह मल को नरम करके कब्ज़ की समस्या को दूर करती है।
सौंफ को पीस पर पाउडर बना लें। यह पाउडर आधा चम्मच और आधा चम्मच पिसी मिश्री मिलाकर दूध के साथ रात को सोते समय लें।
नियमित कुछ समय इसे लेने से नेत्र ज्योति तीव्र होती है।
शुद्ध या बाजार का संक्रमित खाने पीने से कई बार दस्त लग जाते है। यह दस्त पेट में मरोड़ उठने के साथ , बार बार थोड़े थोड़े और चिकने हो सकते है। दस्त में आंव होती है कभी कभी आंव के साथ रक्त भी हो सकता है। ऐसे में सौंफ बड़ी लाभदायक सिद्ध होती है। सौंफ में एक चम्मच पिसी हुई सौंफ को गुड़ में मिलाकर गोली बना लें। इस प्रकार की गोली सुबह शाम एक सप्ताह तक खाने से बार बार नाभि
खिसकना या धरण जाना बंद होता है।नाभि खिसकने या धरण के बारे में जानने के लिए
एनिटोल और सिनेऑल नामक तत्व होते है जिनमे इस प्रकार के इन्फेक्शन को मिटाने के तथा एंटी बेक्टिरियल गुण होते है।
सौंफ का काढ़ा बनाकर दूध में मिलाकर पीने से नींद न आना (अनिंद्रा) दूर होता है। अथवा सौंफ का काढ़ा बना कर दस पंद्रह ग्राम घी व इच्छानुसार मिश्री मिलाकर रात को सोते समय सेवन करें। इससे नींद अच्छी आती है। अथवा जब रोगी हर समय नींद में या सुस्ती में रहता है, ऐसे रोगी को सौंफ का काढ़ा बना कर थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम हफ्ते तक पिलाएं। इससे सुस्ती दूर होती है तथा जरुरत से अधिक नींद भी नहीं आती।
जिन महिलाओं को या लड़कियों को मासिक चक्र यानी के पीरियड समय पर ना आता हो तो उन्हें सौंफ और गुड़ इन दोनों को बराबर मिलाकर कुछ दिन लगातार खाने से यह समस्या दूर हो जाती है और उनका पीरियड सही समय पर आना चालू हो जाता है.
सौंफ खाने से आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ती है इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप सौंफ के साथ थोड़ा मिश्री के दाने लाकर रख लें और दिन में दो या तीन बार इसका सेवन नियमित रूप से करने की आदत डालें, इससे आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है और जिनको चश्मा लगा हो उनका नंबर कम करने में यह काफी सहायक होती है.
किसी किसी को खट्टी डकारें आने की दिक्कत रहती है ऐसे मैं उन्हें सौंफ और मिश्री को पानी के साथ उबालकर पीने से खट्टी डकारें आने में आराम मिलता है
अक्सर वजन ज्यादा होने पर आयुर्वेदिक डॉक्टर सौंफ का पानी पीने की सलाह देते हैं| इस पानी को पीने से भूख कम लगती है, मेटबॉलिज़म तेज होता है और fat बर्न होने लगता है| ये पानी लिवर में फट के जमा होने को भी कम करता है|
बांझ स्त्रियों को सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन माह तक सेवन करायें। इससे स्त्री गर्भ धारण करके माँ बनती है। और मोटापा भी समाप्त होता है। कमजोर स्त्री को सौंफ और शतावरी का चूर्ण बनाकर घी के साथ तीन माह तक सेवन करायें कमजोरी के साथ साथ बाँझपन भी दूर होता है
सौंफ और छोटी हरड़ सामान मात्रा में लेकर घी में भून लें और कुल मात्रा के बराबर मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से दस्तो में आराम आता है। और लस्सी, दही या रस के साथ सौंफ का चूर्ण पीने से दस्त में आंव व खून आना बंद होता है।
जर्नल ऑफ फूड साइन्स के अध्ययन के अनुसार सौंफ में नाइट्राइट और नाइट्रेट प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। ये दोनों यौगिक नए रक्त कोशिकाओं के बनने और संख्या को बढ़ाने में सहायता करती है। अध्ययन से यह पता चला है कि ये लार में नाइट्राइट की मात्रा को बढ़ाकर नैचरल तरीके से ब्लड-प्रेशर को नियंत्रित करती है। इसके अलावा सौंफ में जो पोटाशियम की उच्च मात्रा होती है, ये कोशिका और बॉडी फ्लूइड की ज़रूरी तत्व में से एक है। ये तत्व हृदय की गति और ब्लड-प्रेशर को नियंत्रित करने में भी सहायता करती है।