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स्वाइन फ्लू के खतरे का देसी रामबाण इलाज

स्वाइन फ्लू से  बचाव व रोकथाम  

(Swine Flu) स्वाइन फ्लू बहुत ही खतरनाक वायरस होता है, जो सुअरों से इंसानों तक पहुंचता है। इस बीमारी के लक्षण
सबसे पहले मेक्सिको के वेराक्रूज इलाके के पिग फार्म के आसपास में रहने वाले लोगों में पाए गए थे। यह सुअरों से जुड़ी हुई बीमारी उनके जुकाम से पैदा होती है। यह वायरस आमतौर से चार तरह से होते हैं H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इसमें H1N1 सबसे घातक वायरस है, जो दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

मांसपेशियों में दर्द होना,

गले में खराश और दर्द

सुखी खांसी

बुखार, उल्टी या दस्त का होना

सिर दर्द

भूख न लगना

गंभीर मामलों में शरीर के किसी अंग का काम न करना आदि ।
सावघानी जो रखी जानी चाहिए?
छींकते समय टिस्यू पेपर से नाक को ढके और फिर उस पेपर से सावघानी से नष्ट कर दे, कचरे में फेंक दे।

अपने हाथों को लगतार साबुन से घोते रहे अपने घर के, ऑफिस के दरवाजों के हेडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।

यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दे तो घर से बाहर ना जाएं और दूसरों के नजदीक ना जाएं।
यदि आपको बुखार आई हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहे। लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाडे्रशन ना हो।
संभव हो तो फेसमास्क पहने ले।
स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार अपने हाथ साबुन के साथ धोने चाहिए इससे संक्रमण को रोका जा सकता है।
दरवाजों के हैंडल, रिमोड़, कंप्यूटर आदि को साफ रखना चाहिए।
जुकाम बुखार या अन्य कोई दूसरे लक्षण नज़र आने पर आप अधिक से अधिक पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाए।
ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें। थकान वाले काम न करें। पूरी नींद लें।
दिन में कुछ देर धूप सेंकना फ़ायदेमंद होता है।
                          स्वाइन फ्लू के घरेलू उपचार
स्वाइन फ्लू होने पर हम कुछ घरेलू नुस्खे भी कर सकते हैं, जो हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं जैसे कि…

गिलोई कई क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाई जाती है| गिलोई की एक फुट लंबी शाखा लें इसमें तुलसी की 5-6 पत्तियाँ मिलाकर इसे 15-20 मिनट तक उबाल लें, जब तक कि इसमे इसके तत्व ना घुल जाएँ| इसमें स्वादानुसार काली मिर्च, सेंधा नमक (यदि व्रत है तो) या काला नमक, मिश्री मिला लें| इसे ठंडा होने दें और गुनगुने का सेवन करें| इम्यूनिटी के लिए यह कारगर है| यदि गिलोई का पौधा उपलब्ध नहीं हो तो हमदर्द या अन्य किसी ब्रांड का गिलोई पाउडर इस्तेमाल कर यह काढ़ा बना सकते हैं।

जो लोग लहसुन खाते हैं वे रोज सुबह दो कलियाँ कच्ची चबा सकते हैं। यह गुनगुने पानी से लिया जा सकता है। अन्य चीजों की बजाय लहसुन से इम्यूनिटी ज्यादा बढ़ती है।
स्वाइन होने पर तुलसी के पत्तों को धोर खाएं जिससे हमारे फेफड़े साफ हो जाते हैं।
नीम में हवा को साफ करने का गुण होता है जिससे यह वायुजनित बीमारियों के लिए कारगर है, स्वाइन फ्लू के लिए भी। आप खून को साफ करने के लिए रोज 3-5 नीम की पत्तियाँ चबा सकते हैं।
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कपूर का सेवन महीने में एक बार करना चाहिए।
ग्वारपाठा आसानी से उपलब्ध पौधा है। इसकी कैक्टस जैसी पतली और लंबी पत्तियों में सुगंध रहित जैल होता है। इस जैल को एक टी स्पून में पानी के साथ लेने से त्वचा के लिए बहुत अच्छा रहेगा, जोड़ों का दर्द दूर होगा और साथ ही इम्यूनिटी बढ़ेगी।
गुनगुने दूध में हल्दी डालकर इसका सेवन करना चाहिए।
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स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे दूध, सूप, दाल का पानी, चाय आदि को शामिल करना चाहिए | इसके अतिरिक्त आहार में प्रोटीनयुक्त भोज्य पदार्थों को सम्मलित करें | इससे जल्द आराम मिलता है 
गले और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना प्राणायाम करें और जॉगिंग करें। आपको स्वस्थ रखने के साथ ही यह हर बीमारी के लिए फायदेमंद है जो कि नाक, गले और फेफड़ों से संबन्धित हैं।

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