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ऐसा क्या गुण है कलोंजी में, की महिला पुरुष दोनों इसके इस्तेमाल से फायदा ले रहे है ?

सबसे ज़्यादा कलौंजी का उपयोग यूनानी दवाओं को बनाने में किया जाता है. भारत में व् अन्य Tropical areas  में कई वर्षो से कलोंजी का इस्तेमाल भोजन में भी होता रहा है इसका प्रमुख कारण इसमें पाए जाने वाले आयुर्वेदिक गुण है जो भोजन के साथ हमारे शरीर में जाकर शरीर को पोषण व् बीमारियों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है, अनगिनत रोगों को ठीक करने वाला कलौंजी का पौधा सोंफ के पौधेसे थोड़ा छोटा होता है और इसमें हलके नीले और पीले फूल आते हैं इनका बीज जिसको हम कलौंजी बोलते हैं वो काले रंग के होते हैं कलौंजी लगभग हर घर में मौजूद रहने वाली चीज़ है.
1. गंजापन: जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।बालों को घना व लम्बा बनाना: 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं। इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।
2. लकवा (paralysis): कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
3. स्फूर्ति (Revital): नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है। 
4. खून की कमी (Anemia): एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। 
5. स्तनों का छोटा: कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है। कलौंजी को लगभग एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम प्रसूता स्त्री को देने से स्तनों में दूध बनता है। 
6. गांठ (टयूमर-Tumor): कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है। 
7. मुंहासे: सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
8. बवासीर: कलौंजी की भस्म को मस्सों पर नियमित रूप से लगाने से बवासीर का रोग समाप्त होता है। 
9. त्वचा विकार (Skin Disease ): कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं। 
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10. प्रसव की पीड़ा: कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है। 
11. जोड़ों का दर्द: एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है। 10 ग्राम सौंफ का रस निकालकर कांजी में मिलाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक होता है। कुलंजन को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है। 
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12. स्वप्नदोष: (Nightfall) यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्नदोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।
13. हार्निया-Hernia: 3 चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

14. दमा:(Asthama) एक चुटकी नमक, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच घी मिलाकर छाती और गले पर मालिश करें और साथ ही आधा चम्मच कलौंजी का तेल 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे दमा रोग में आराम मिलता है। 
15. कैंसर: (Cancer)एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए। 
16. मासिकधर्म की अनियमितता: लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है। कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है। एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है। 
17. नपुंसकता: कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है। 

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