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जानिए किन- किन बिमारियों को जड़ से मिटाती है – नीम

http://www.raambaanilaj.com/2017/08/Neem-Ke-Fayde.html

परिचय : नीम का पेड़ बहुत बड़ा होता है। नीम का पेड़ वातावरण को शुद्ध बनाने में विशेष भूमिका निभाता है, क्योंकि नीम की पत्तियों में गुणकारी तत्व पाये जाते हैं जो जीवाणुओं को नष्ट करते रहते हैं। नीम की इन रोग प्रतिरोधक शक्तियों के कारण इससे `एंटीसेप्टिक´ औषधियां बनाई जाती हैं। प्राचीन आर्य ऋषियों ने नीम को अलौकिक गुणोंइन सात घरेलु उपायो से 8 दिन में बालो का झड़ना रोके व् 21 दिनों में नए बाल उगते हुए देखे. युक्त बताया है कि नीम अनेक प्रकार की बीमारियों को मानव शरीर से दूर करता है। नीम के पत्ते खाकर कई लोग कई दिनों तक जीवित रहे हैं, साथ ही साथ शक्तिशाली भी रहकर अपना सामान्य जीवन व्यतीत किया है। नीम के बारे में एक अच्छी कहावत है कि नीम खाने में कड़वा होता है परन्तु काफी गुणकारी होता है। इसका पेड़ कड़वा, कषैला और हल्का होता है। स्वरूप : नीम के पेड़ बड़े और ऊंचे होते हैं। नीम के पत्ते नुकीले होते हैं।

विभिन्न रोगों में सहायक :
1. रक्तार्बुद (फोड़ा) : नीम की लकड़ी को पानी में घिसकर एक इंच मोटा लेप फोड़े पर लगायें। इससे फोड़ा समाप्त हो जाता है।
2. प्रमेह (वीर्य विकार), सुजाक (गिनोरिया की बीमारी) : नीम के पत्तों को पीसकर टिकिया बना लें। फिर उसे गाय के घी में तलकर रख लें। जब टिकिया जल जाए तो घी को छानकर रोटी के साथ लगाकर सेवन करें। इससे दोनों रोगों में लाभ मिलता है।
2. गंजापन और बालों की वृद्धि : नीम के पत्ते 10 ग्राम, बेर के पत्ते 10 ग्राम दोनों को अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन (लेप) बना लें। इस लेप को गंजे सिर पर मालिश करके 1 से 2 घंटे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग 1 महीने तक करने से लाभ होता है। नीम का तेल 2-3 महीने रोजाना बालों के उड़कर बने हुए चकते पर लगाने से बाल उग आते हैं।
3. पेट के कीड़े (उदर कृमि) : सब्जी या बैंगन के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंककर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। एक मुट्टी नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर 20 मिलीलीटर की मात्रा में खाली पेट 3 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
4. आंखों की पलकों के बालों का झड़ना : नीम के ताजे पत्तों को पीसकर, निचोड़कर इसे पलकों पर लगाने से पलकों के बाल झड़ना बन्द हो जाते हैं।
5. आंखों के रोगों में : जिस आंख में दर्द हो उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गर्म करके 2-2 बूंद टपकाने से आंख और कान का दर्द कम हो जाता है। 

6. नकसीर (नाक में से खून का आना) : नीम की पत्तियों और अजवायन को बराबर मात्रा में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से नकसीर का चलना बन्द हो जाता है।

7. बालों का असमय में सफेद होना (पालित्य रोग) : नीम के बीजों के तेल को 2-2 बूंद नाक से लेने से और केवल गाय के दूध का सेवन करने से पालित्य रोग में लाभ होता है। 
8. बालों की रूसी : एक मुट्टी नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने से 1 घंटे पहले सिर पर मलने से रूसी मिट जाती है। नीम की निबौलियों को सुखाकर अरीठा के साथ मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसे 2 चम्मच भर एक गिलास गर्म पानी में घोलकर सिर को धो लेने से सिर की जूंएं, लीखें, सिर की दुर्गन्ध खत्म हो जाती है तथा बाल काले और मुलायम होते हैं। इसे जरूर पढ़े – 

9. खसरा : खसरा के मरीज के बिस्तर पर रोजाना नीम की पत्तियां रखने से अन्दर की गर्मी शान्त हो जाती है।

10. शरीर के आधे अंग में लकवा (अर्धांगवात) : नीम के तेल की 3 सप्ताह तक मालिश करने से लाभ होता है।
11. सिर में खुजली होने पर : नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर को धो लें। सिर को धोने के बाद नीम के तेल को लगाने से सिर की जूएं और लीखों के कारण होने वाली खुजली बन्द हो जाती है। नीम के बीजों को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है। 
12. कील-मुंहासे : नीम के पत्ते, अनार का छिलका, लोध्र और हरड़ को बराबर लेकर दूध के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रोजाना मुंह पर लगाने से मुंह और चेहरा निखर उठता है। नीम की छाल के बिना नीम की लकड़ी को पानी के साथ चंदन की तरह घिसकर मुंहासों पर 7 दिनों तक लगातार लगाने से मुंहासे पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। 
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13. मोतियाबिन्द : नीम की बीज की गुठली के बारीक चूर्ण को रोजाना थोड़ी-सी मात्रा में आंखों में काजल के समान लगाना हितकारी होता है। नीम के तने की छाल (खाल) की राख को सुरमे की तरह आंखों में लगाने से आंखों का धुंधलापन दूर होता है।
14. आंव (दस्त के साथ एक प्रकार का सफेद चिकना पदार्थ का आना) : नीम की हरी पत्तियों को धोकर सुखाकर पीस लें, इसे आधा चम्मच सुबह-शाम खाने के बाद 2 बार ठंड़े पानी से फंकी लें। कुछ दिनों तक लेने से आंव का आना बन्द हो जाता है। 
15. बुखार : नीम के पत्ते, गिलोय, तुलसी के पत्ते, हुरहुर के पत्ते 20-20 ग्राम और कालीमिर्च 6 ग्राम को बारीक पीसकर पानी के साथ मिलाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोली बना लें तथा 2-2 घंटे के अंतर के बाद 1-1 गोली गर्म पानी के साथ लेने से इन्फ्लुएंजा में लाभ होता है। 
16. यक्ष्मा (टी.बी.) : नीम का तेल 4-4 बूंद कैप्सूल में भरकर टी.बी. के रोग में प्रतिदिन 3 बार प्रयोग करने से लाभ मिलता है। 
17. अम्लपित्त (एसिडिटिज, खटटी डकारे) : धनिया, सौंठ, नीम की सींक और शक्कर (चीनी) को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से खट्टी डकारे, अपचन (भोजन का न पचना) और अधिक प्यास का लगना दूर होता है।

18. पुराने दस्त : 1 ग्राम नीम के पेड़ के बीज की गिरी, थोड़ी-सी चीनी मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण को पानी के साथ लें। गर्मी के दिनों में दस्त होने पर नीम के 10 पत्ते और 25 ग्राम मिश्री पीसकर पानी में मिलाकर पीयें। ध्यान रहे कि खाने में केवल चावल का ही प्रयोग करें।

19. रक्तातिसार (खूनी दस्त का आना): नीम की 3 से 4 पकी निबौलियां खाने से लाभ मिलता है।
20. सांप के काटने पर: नीम के पत्ते सुबह खाने से सांप का जहर नहीं चढ़ता है। 

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