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हमारे सवास्थ्य के लिए कितना लाभकारी है अजवयान- जाने

अजवाइन की प्रशंसा में आयुर्वेद में कहा गया है-“एका यमानी शतमन्न पाचिका” अर्थात इसमें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है। अजवाइन पाचक, तीखी, रुचिकारक गर्म, कड़वी, शुक्राणुओं के दोषों को दूर करने वाली, वीर्यजनक (धातु को बढ़ाने वाला), हृदय के लिए हितकारी, कफ को हरने वाली, गर्भाशय को उत्तेजना देने वाली, बुखारनाशक, कृमिनाशक (कीड़ों को नष्ट करने वाला), वमन (उल्टी), बवासीर (अर्श), गर्म प्रकृति की औषधि है। अजवायन का पौधा सारे भारतवर्ष में पाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में अधिकता से पैदा होता है। अजवायन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। डालियों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पककर एवं सूख जाने पर अजवाइन के दानों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दाने ही हमारे घरों में मसाले के रूप में और औषधियों में उपयोग किए जाते हैं।

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1. पेट में कृमि (पेट के कीड़े-Hookworm) होने पर : अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण की 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। पेट में जो हुकवर्म नामक कीडे़ होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवाइन का बारीक चूर्ण लगभग आधा ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार देने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीलिया के रोगी और निर्बल पर नहीं करना चाहिए।

2. स्त्री रोगों में : प्रसूता (जो स्त्री बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का दर्द दूर हो जाता है और गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही साथ भूख लगती है व शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है तथा मासिक धर्म की अनेक परेशानियां इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं।

3. मुंहासे (Pimple) : 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें।
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4.  जूं, लीख : 1 चम्मच फिटकिरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे सिर में होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर निकल जाती हैं।

5. बांझपन (गर्भाशय के न ठहरने) पर : मासिक-धर्म के आठवें दिन से नित्य अजवाइन और मिश्री 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर 125 ग्राम पानी में रात्रि के समय एक मिट्टी के बर्तन में भिगों दें तथा प्रात:काल के समय ठंडाई की भांति घोंट-पीसकर सेवन करें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी बिना नमक की लें। इस प्रयोग से गर्भ धारण होगा।

6. पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर) : गाय के 1 लीटर पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
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7. बवासीर (अर्श) (Piles) : अजवाइन देशी, अजवाइन जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख जाते हैं।
8. नपुंसकता (नामर्दी-Impotent) : 3 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के 10 मिलीलीटर रस में तीन बार 10-10 ग्राम शक्कर मिलाकर सेवन करें। 21 दिन में पूर्ण लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन व शुक्राणु की कमी के रोग में भी लाभ होता है।

9. फोडे़, फुन्सी की सूजन : अजवाइन को नींबू के रस में पीसकर फोड़े और फुन्सी की सूजन में लेप करने से लाभ मिलता है।

10. गर्भधारण कराना : मासिक-धर्म के प्रारम्भ से 8 दिन तक नित्य 25 ग्राम अजवाइन और 25 ग्राम मिश्री, 125 मिलीलीटर पानी में रात को मिट्टी के बर्तन में भिगों दें। सुबह ठंडाई की तरह पीसकर पीयें।

11. बालों को हटाना (Hair Removing) : खुरासानी अजवाइन और अफीम आधा-आधा ग्राम लेकर सिरके में घोट लें। इसे बालों में लगाने से बाल उड़ जाते हैं।

12. कब्ज (Constipation) : अजवाइन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।

13. वायु विकार (Gas, Acidity) : 5 ग्राम पिसी हुई अजवाइन को 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर छाछ (मट्ठे) के साथ लेने से लाभ होता है। एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानमक एक साथ पीसकर इसमें छाछ मिलाकर पीने से पेट की गैस की शिकायत दूर होती है।

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