शिलाजीत SHILAJIT देखने में काफी कडवा, कसैला, गर्म तथा वीर्यवद्र्धक होता है। शिलाजीत का मुख्य उद्देश्य शरीर का बल देकर उसे स्वस्थ, शक्तिशाली तथा पुष्ट बनाना होता है। शिलाजीत के सूखने पर उसमें गौमूत्र जैसी गंध आती है। आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति पत्थर से हुई है। गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी से पर्वत की चट्टानों के धातु अंश पिघल कर रिसने लगता है। इसी पदार्थ को शिलाजीत कहा जाता है देखने में तारकोल की तरह बेहद काला और गाढ़ा होता है इसके सूखने के बाद एकदम चमकीला रूप ले लेता है। आयुर्वेद में इसको बहुत पहले ही परख लिया गया था. यह बहुत सी बीमारियो के लिए उपयोगी है जेसे त्वचा, बाल, पेट, इम्यूनिटी, उम्र बढ़ना, बांझपन, कॉफ, चर्बी, मधुमेहा, मिर्गी, बवासीर, गठिया की सूजन, पथरी, पेट में कीड़े आदि।shilajit kaha milta hai
शिलाजीत का सेवन कैसे करे
इसका सेवन दूध, पानी या फिर फलो के रस के साथ करना चाहिए. अगर आप इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी से थक गये है और शरीर में थोड़ी उर्जा चाहते है, तो शिलाजीत का सेवन आपके लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगा. ये सेक्स के लिए बहुत ही लाभकारी है. यह आपकी सेक्स पवर को बढ़ता है और बहुत से पवर कॅप्सुल्स मे इसका उपयोग किया जाता है.
स्वपनदोष की समस्या:- शिलाजीत में केसर, लौहभस्म और अम्बर को मिलाकर सेवन करने से स्पनदोष ठीक हो जाता है। और पुरूष की इंद्री यौन इच्छा के लिए प्रबल हो जाती है। यह उपाय करते समय भी अधिक खटाई और मिर्च मसालों के सेवन से बचें।
हड्डियों के रोग में:- शिलाजीत खाने से हड्डियों की मुख्य बीमारियां जैसे जोड़ों का दर्द और गठिया की समस्या दूर होने के साथ हड्डियां मजबूत बनती हैं।