अश्वगंधा की पहचान –
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अश्वगंधा अत्यन्त शाखित, सदाबहार तथा झाड़ीनुमा 1.25 मीटर लम्बे पौधे होते हैं। पत्तियाँ रोमयुक्त, अण्डाकार होती हैं। फूल हरे, पीले तथा छोटे एंव पाँच के समूह में लगे हुये होते हैं। इसका फल बेरी जो कि मटर के समान दूध युक्त होता है। जो कि पकने पर लाल रंग का होता है। जड़े 30-45 सेमी लम्बी 2.5-3.5 सेमी मोटी मूली की तरह होती हैं। इनकी जड़ों का बाह्य रंग भूरा तथा यह अन्दर से सफेद होती हैं
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Ashwagandha ke Fayde
Ashwagandha ke Fayde
अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसके साथ-साथ इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। सभी ग्रथों में अश्वगंधा के महत्ता के वर्णन को दर्शाया गया है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोड़े की मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। विदानिया कुल की विश्व में 10 तथा भारत में 2 प्रजातियाँ ही पायी जाती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की माँग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बढ़ती जा रही है।
अश्वगंधा में अनेक चमत्कारी गुण हैं, और कई परेशानियों में यह आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी है. अश्वगंधा का आयुर्वेद में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है. अश्वगंधा का दवा के रूप में सैकड़ों वर्षों से उपयोग किया जाता रहा है. इसका सही मात्रा में उपयोग करना कई मामलों में फायदेमंद है, लेकिन साथ हीं एक सीमा तक हीं इसका उपयोग करना चाहिए. तो आइए जानते हैं कि अश्वगंधा के प्रमुख फायदे कौन-कौन से हैं.
- अश्वगंधा Antiaging दवा है, यह उम्र को नियंत्रित रखने में आपकी मदद करता है. जिससे व्यक्ति जल्दी बुढ़ा नहीं होता है. अर्थात इसके सेवन करने से समय से पहले बुढ़ापा नहीं आता है.
- और इसे खाने से तनाव भी कम होता है.
- यह डायबीटीज में भी आपको काफी फायदा पहुंचाता है.
- अश्वगंधा पाचन तन्त्र के लिए भी बहुत अच्छा होता है.
- अश्वगंधा शरीर में आयरन को बढ़ा देता है. हर दिन तीन बार 1-1 gram सेवन करने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है.
- जो लोग सम्भोग के दौरान जल्दी थक जाते हैं, यह उनके लिए भी एक बहुत हीं प्रभावशाली औषधी है.
- इसे खाने से बालों का कालापन बढ़ जाता है.
- इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है.
- अश्वगंधा के सेवन से गठिया का दर्द खत्म हो जाता है.
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इसे भी जरूर जाने:
- अश्वगंधा ब्लडप्रेशर को नियन्त्रण में रखता है.
- जिन लोगों को अश्वगंधा खाने से बुखार हो जाता हो, उन्हें अश्वगंधा नहीं खाना चाहिए.
- गर्भवती स्त्रियों को अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए.
- उन स्त्रियों को भी अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिये, जो अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हों.
- जिन स्त्रियों की योनी से सफेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है, उन्हें भी अश्वगंधा खाने से बहुत फायदा पहुंचाता है.
- टीबी में भी अश्वगंधा बहुत फायदा पहुंचाता है.
- अश्वगंधा याददाश्त में भी फायदा पहुंचाता है.
- अश्वगंधा के सेवन से Sex Power बढ़ती है. वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है और वीर्य ज्यादा मात्रा में बनता है.
- जिन लोगों को हमेशा आलस्य महसूस होता रहता है, अश्वगंधा उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसके सेवन से आलस्य खत्म हो जाता है.
- यह मन को शांत करता है और और सहनशक्ति में वृद्धि करता है.
- यह हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाता है.
- यदि आपको अनिंद्रा की शिकायत है, तो अश्वगंधा आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.
- जिन लोगों को अल्सर की समस्या हो उन्हें खाली पेट में या केवल अश्वगंधा कभी नहीं खाना चाहिए.
- किसी बीमारी के समय भी अश्वगंधा का सेवन कर रहें हों, तो यह दूसरे दवाओं के असर को क्षीण कर सकता है.
- पौधों की जड़े शक्तिवर्धक, शुक्राणु वर्धक एंव पौष्टिक होती हैं। यह शरीर को शक्ति प्रदान कर बलवान बनाती हैं।
- अश्वगंधा की जड़ों के पाउडर का प्रयोग खाँसी एंव अस्थमा को दूर करने के लिये भी किया जाता है।
- महिला संबधी बीमारियों जैसे श्वेत प्रदर, अधिक रक्त ókव गर्भपात आदि में अश्वगंधा की जड़े लाभकारी होती हैं।
- तंत्रिका तंत्र सबंधी कमजोरी को भी दूर करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है।
- अश्वगंधा के द्वारा बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण किया जाता है। जिसमें अश्वगंधारिष्ट मुख्य औषधि है।
- गठिया एंव जोड़ो के दर्द को ठीक करने के लिये भी अश्वगंधा की जड़ों के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।
- नपुंसकता में पौधें की जड़ों का एक चम्मच पाउडर दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।
- अश्वगंधा के द्वारा बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण किया जाता है। जिसमें अश्वगंधारिष्ट मुख्य औषधि है।
- गठिया एंव जोड़ो के दर्द को ठीक करने के लिये भी अश्वगंधा की जड़ों के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।
- नपुंसकता में पौधें की जड़ों का एक चम्मच पाउडर दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।
- अश्वगंधा की जड़ों को त्वचा सबंधी बीमारियों के निदान हेतु भी प्रयोग में लाया जाता है।
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